‘जिसको सदियों तक जमाना भूल कर दोहराएगा,जिन्दगी के नाम ऐसे गीत जाएंगं हम…हौसलों और उम्मदों का पैगाम देते कवि गजलकार विनोद तिवारी का यह नगमा जब संगीत के सुरताल का तानाबाना लिएं गूंजा तो माहौल में कविता की खुशबूदार रंगतें बिखर गई । श्री तिवारी के ऐसे ही कुछ गीतों को मुकम्मल धुनों पर सजाकर आडियो अलबम ‘कुछ गीत जिन्दगी के नाम’ की शक्ल में जारी किया । वनमाली सृजनपीठ के अरेरा कालोनी स्थित अध्ययन केन्द्र में आयोजित समारोह में डा सी बी रमन विवि के कुलाधिपति तथा प्रसिद्ध कथाकार कवि श्री संतोष चौबे विशेष रूप से उपस्थित थे । आठ टेक के इस एलबम में,चट्टानों में कठिन थी राह,इठलाती हुई चल दी…बाहर चुप है,अंदर चुप है..जैसे खूबसूरत नगमों से लबरेज है। समारो में राजेश जोशी,प्रो कमला प्रसाद,राजेन्द शर्मा आदि वरिष्ठ साहित्यकार,संस्कत कर्मी और संगीत प्रेमी उपस्थित थे ।
आंख में बादल -पुस्तक लोकार्पण
अपने वतन के वास्ते मरना है जिन्दगी ]ग़म दूसरों के वास्ते सहना है जिन्दगी । इन पंक्तियों के माध्यम से जिन्दगी के असली मकसद को सामने लाने का प्रयास किया है डी डी राउत मानव ने । करवट कला परिषद के तत्वावधान में प्रभात साहित्य परिषद एवं दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डलिपि संग्रहालय के सहयोग से दिनांक 22 जून 2010 को मानव के जन्म दिन पर उनकी तीसरी कृति ‘ आंख में बादल ‘ ग़ज़ल स्रग्रह का लोकार्पण किया गया ।कार्यक्र के शुरूआत में राजुरकर राज ने मानव की पांच ग़ज़लों का पाठ किया । इस अवसर पर कथाकार लक्ष्मीनारायण पयोधि ने कहा कि यह ग़ज़ल संग्रह एक ईमानदार रचनाकार की सच्ची अनुभूति है,जिसमें एक आम आदमी की वर्तमान दशा के प्रतिबिम्ब साफ देखे जा सकते हैं । उन्होने कहा कि ग़ज़ल के माध्यम से मानव ने कमजोर वर्ग के दर्द को आवाज दी है । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और वरिष्ठ साहित्यकार राजेश जोशी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, मैं कामना करता हूं कि रचनारों को दीर्घायु के साथ साथ लम्बी सृजन आयु भी मिलें।कार्यक्रम की अध्यक्षता मशहूर शायर शफक तनवीर ने की । इससे पहलs श्री मानव के दो संग्रह ‘धम्मपद ‘ पालि से हिन्दी पद्यानुवाद और ‘ पीड़ा के शिलालेख’ काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं । मानव को इससे पहले डा अम्बेडकर साहित्य सेवा सम्मान,महाराष्ट दलित साहित्य अकादमी सम्मान और रत्न भारती ,करवट कला परिषद, जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। कार्यक्रम का संचालन रमेश नन्द ने किया ।
ख़लील कुरैशी को श्रद्धांजली
ख़लील कुरैशी श्रद्धांजली
गत माह 14 नवम्बर 2009 को उर्दू के जानेमाने शायर जनाब खलील कुरैशी का भोपाल में इन्तकाल हुआ है। दिनांक 15 नवम्बर 2009 को उनका जिस्म सुपुर्द ए खाक किया गया । महरूम जनाब खलील कुरैशी को शत शत प्रणाम और श्रद्धांजलि समर्पित करता हू।
जनाब खलील कुरैशी का जन्म दिनांक 01 दिसम्बर 1945 को जिला शाजापुर में हुआ था । आपके वालिद स्व.लाल मोहम्मद कुरैशी तथा वालिदा स्व.मेहराज फातमा कुरैशी थे । आपने बीएस सी,एजी तक शिक्षा प्राप्त की थी । आपकी पहली पुस्तक मेरा देश महान 1995 में प्रकाशित हुई थी । अभी हाल ही में उनकी दो पुस्तकें प्रकाशित हुई है । एक राष्टीय गीत एवं गजल संग्रह और दूसरी दिलकश गजले। आपको अब तक कहकशाने अदब तथा सारांश रंग रंगशिविर भोपाल व्दारा सम्मानित किया गया है।
उभरती हुई शायरा : नुसरत मेंहदी –
सलीम कुरैशी
उर्दू साहित्य जगत की जानीमानी प्रसिद्ध शायरा नुसरत मेंहदी का जन्म 01 मार्च 1965 को नगीना जिला बिजरौर (उत्तर प्रदेश) में हुआ । उन्होंने अंग्रेजी में एम.ए. और बरकतुल्लाह यूनिवर्सिटी से बी.एड किया । शायरी के साथ-साथ उनके मज़ामीन कहानियाँ नाटक आदि भी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं। शासकीय सेवा में रहते हुए भी अदब व शायरी की दिलोजान से सेवा कर रही है। जहाँ तक आकाशवाणी और दूरदर्शन का संबंध है वह उनको अपने कार्यक्रमों में अक्सर बुलाते हैं उनकी रचनाएं प्रसारित होती है। उन्हें अब देश से बाहर भी कार्यक्रमों के निमंत्रण मिल रहे हैं। पिछले दिनों जद्दा ( अरब देश ) और रियाज़ ( अरब देश ) में भी अपनी कामयाबी के झण्डे बुलन्द कर भारत का नाम रोशन किया । जहाँ तक मुशायरों का तआल्लुक है हिन्दुस्तान में जितने भी बड़े मुशायरे होते हैं मोहतरमा नुसरत मेंहदी को ज़रूर बुलाया जाता है और वह बड़ी नफासत के साथ मुशायरो में तशरीफ लाती है। मोहतरमा नुसरत मेंहदी की यह भी विशेषता है कि वह हिन्दी उर्दू और अंग्रेजी तीनों भाषाओ में लिखती है और तीनों भाषाओं का अच्छा ज्ञान भी रखती है। वर्तमान में मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी के सचिव के पद पर कार्यरत है। शायरी उनको पैतृक तौर पर वरसे में मिली है। उनकी दो बहनें शमीम ज़ोहरा और डॉ.मीना नकवी भी अच्छा शायरा है । नुसरत मेंहदी के पति भी एक अच्छे लेखक है । इसी के साथ-साथ इनके परिवार में अनेक लोग साहित्य जगत से जुड़े हुए है और साहित्य जगत की खिदमत में पूरा परिवार ही एक तरह से संलग्न है। नुसरत मेंहदी ने 1981 में पहली कहानी लिखी मैं क्या हूँ जिसका प्रसारण आकाशवाणी नज़ीराबाद से उसी वर्ष हुआ । शायरी की शुरूआत सन् 1982 से हुई उनकी पहली ग़ज़ल का मतला है – सन्नाटों के सीने से तूफ़ान उठा देंगे हम ऐसे समन्दर है जो आग लगा देंगे कई सेमीनारों में भाग लेकर मुल्क के अदबी फनकारों के फ़न और शिख्सयत पर मक़ाले पढ़े उनकी राही शहाबी अख्तर सईद खाँ इशरत क़ादरी नईम कौसर वसीम बरेलवी ज़फर नसीमी आदि शामिल है। इसी के साथ मन्ज़ूम ख़राजे तहसीन भी आपने पेश किये हैं उनमें अल्लामा इक़बाल ममनून हसन खाँ इक़बासल मजीद आदि शामिल है। शीघ्र ही उनकी उर्दू शायरी की पुस्तक & साया साया धूप & प्रकाशित हो रही है । कुछ शेर पेश है:- तारीकियों में सारे मनाज़िर चले गये जुगनू स्याह रात में सच बोलता रहा — –
– आबे हयात पी के कई लोग मर गये
हम ज़हर पी के जिन्दा है सुक़रात की तरह
— —
किसी एहसास में डूबी हुई शब
सुलगता भीगता आँगन हुई है
— —
इससे पहले कि दास्ताँ हो जाऊँ
अपने ल़ज़ों में खुद बयाँ हो जाऊँ
– – —
तोल कर देख लें अज़मत की तराज़ू में
इसे मेरी चादर तेरी दस्तार से भारी होगी
— —
अपनी बेचारगी को देख कर रोज़
एक आईना न तोड़ा कर
— —
सलीबो दार से उतरी तो जिस्मों जाँ से मिली
मैं एक लम्हें में सदियों की दास्ताँ से मिली – – हर कोई देखता है हैरत से तुमने सबको बता दिया है क्या
— —
नुसरत मेंहदी के बारे में वरिष्ठ साहित्यकारों के विचार:-
“ नुसरत मेंहदी शेरगोई की बारीकी से वाकिफ़ है । वह जानती है कि दो मिसरों का रास्ता कितना नज़ाकत और बारीकी का काम है । उन्होंने मुतअदिद अशआर के ज़रिये उर्दू ग़ज़लगोई में एक नए लहजे का इज़ाफा किया है।
–श्री मुमताज राशिद
“नुसरत दयारे सुखन में नव-वारिद है । मगर उनकी शायरी ये तहस्सुर ज़रूर देती है कि उनका शायराना वुजदान ग़ज़ल आशना है…….नुसरत मेंहदी की ग़ज़ल पढ़ते हुए खूबी भी नज़र आती है कि उन्होंने फैशनवाली निसाइयत पसन्दी को अपनी ग़ज़ल में राह नहीं दी ।
— जुबेर रिज़वी
“ मैं मोहतरमा नुसरत मेंहदी साहिबा को ऐसी शायराओं में शुमार करता हूँ जो शोहरत की हासिल करने का लालच किये बग़ैर अदब की इबादत कर रही है। — डॉ.कैलाश गुरूस्वामी
आखिर में यही कहा जा सकता है कि नुसरत मेंहदी उर्दू शायरात में न सिर्फ मुशायरों की हद तक कामयाब है बल्कि उर्दू अदब में भी अपना नुमाया बनाती जा रही है और उनका शुमार मुल्क की उभरती हुई शायरात में है। — सलीम कुरैशी 233- बी हाउसिंग बोर्ड कालोनी, करोद, भोपाल मोबा. 9425637960
नवीन कपूर
क्यों पी इतनी
रघुनाथ को डाक्टर ने हिदायत दे रखी थी कि वह अधिक मदिरा नहीं पिए बल्कि यथाशीघ्र कम कर पीना बन्द कर दें । रघुनाथ ने डाक्टर की हिदायत को गंभीरता से नहीं लिया । एक विवाह समारोह में उसने पुन: कुछ अधिक ही पी ली । उसके मित्र ने उसे कहा भी-
“यार तुम ज्यादा पी रहे हो । डाक्टर ने तुम्हें
नवीन कपूर
मना किया हुआ है।
“अरे कुछ नहीं होगा यार डाक्टर लोग तो बस यूँ ही डराते है। शादी के मौके पर पी ली तो क्या हुआ । शादी रोज़-रोज़ थोड़ें ही होती है।
रघुनाथ ने बेपरवाही से मुस्कराते हुए कहा । वह काफी देर तक पीते रहा । विवाह समारोह समाप्त हुआ । वह बस से घर लौट पड़ा । बस अभी मात्र कुछ ही दूर चली थी कि रघुनाथ के सीने मे दर्द उठा वह तड़प उठा उसे हृदयाघात हुआ और मौके पर ही उसकी सांस उखड़ गई। उसके प्राण पखेरू उड़ गए ।
वह अपने पीछे पत्नी दो बेटे और दो बेटिया जो अभी छोटे-छोटे ही थे । उसकी पत्नी पति का शव देख-देख रोते रही,जैसे पूछ रही हो-
“क्यों पी इतनी क्या परिवार से ज्यादा प्यारी शराब थी
2-सम्राट
महामंत्री सम्राट होने का मतलब ही जिम्मेदारियों का बोझ उठाना होता है। सभी ने मुझ पर विश्वास कर सम्राट के इस सर्वोच्च पद पर बैठाया है । अब मेरा यह परमकर्तव्य बन जाता है कि मैं सभी के सहयोग से ही उनकी समस्याओं को जल्द से जल्द सुलझाऊँ ।
अभिनव की असाधारण काबलियत को देखते हुए विशालतम राज्य की न्यायपसंद जनता ने उसे हमेशा के लिए अपना सम्राट चुन लिया । एक सभा में महामंत्री व्दारा यह राय प्रदान की गई-
“ सम्राट आप भी पहले एक इन्सान है । आपको भी कुछ आराम करना चाहिए ।
“ मैं तब ही आराम करूँगा,जब रियाया के लिए कुछ नेक काम कर सकूँ।
दरअसल अभिनव का राज्य अब तेजी से लोकतांत्रिक स्वरूप में ढलता जा रहा था । जो प्राचीन राजाओं के वंशज चले आ रहे थे । अब उन की अगली पीढ़ी में वह काबलियत नहीं थी । जो पहले के प्रतापी राजाओं में हुआ करता थी । इसीलिए वर्तमान में वृद्ध हुए महाराज अपने विशालतम राज्य में से अपने तेजस्वी गुरू की सहायता से आम रियाया का भी सुझाव लिया गया । अभिनय में वह काबलियत देखी और अपने मंत्रिमण्डल से भी गहन विचार विमर्श कर अभिनव को सम्राट नियुक्त कर दिया । अभिनव ने भी पूरी जिम्मेदारी पूर्ण गंभीरता से स्वीकार की और यथाशीघ्र एक ऐसे नियम का एलान किया जिसमे तहत राज्य का आम आदमी भी इस प्रावधान के माध्यम से सीघे सम्राट तक अपनी समस्या पहुँचा सके । अभिनव समझ चुका था कि अब उसे सम्राट के रूप में अपने विशाल राज्य के लोगों की भलाई हेतु पूरी योजना के साथ प्रचुर मात्रा में नेक कार्य करने हैं।
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अवसर
शैलेश विद्यालय में सातवीं कक्षा में पढ़ता था । कुछ समय हुआ उसने अनुचित संगत में पड़कर बढ़ाई बीच में ही छोड़ दी । उसने नशीले पदाथोZ का सेवन करना प्रारंभ कर दिया । उसके मोहल्ले का दोस्त अश्विनी जो उसके करीब है किसी कार्य से कुछ समय के लिए शहर से बाहर गया हुआ था । वापस आने पर अश्विनी को शैलेश के बारे में परिवार के लोागे से पता चला उसको मिलने पर उसके घर जाने पर कि कभी-कभी तो शैलेश दो दिनों तक घर भी नहीं आता है। अश्विनी ने शैलेश को ढूँढा तथा मित्रता के हक से समझाया कि देखो शैलेश तुम खुशनसीब हो कि तम्हें पढ़ने लिखने का अवसर मिला है तुम्हारे माता-पिता पढ़ाई का खर्च दे सकते हैं । ज़रा कभी उन बच्चों के बारे में सोचो जिन्हें निर्धनता के कारण पढ़ने का अवसर नहीं मिलता । विशेषत: वे बच्चे जो माता-पिता के अभाव में बचपन में ही कदम न रखकर सीधे बोझ भरी जिन्दगी में कदम रखते हैं। क्योंकि अनाथाश्रम भी हर अनाथ बच्चे को नसीब नहीं होता । हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे पढ़े लिखे । प्राथमिक शिक्षा तो प्राप्त करें ही और एक तुम हो कि अपना कीमती समय मादक पदाथोZ के सेवन में बबाZद कर रहे हो और साथ में परिवार को भी पेरशानी में डाल रहे हो । अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा शैलेश । संभल जाओ तथा अच्छा पढ़-लिखाकर देश की तरक्की में स्तरीय योगदान प्रदान करो । लज्जित हो शैलेश बोला मुझसे भूल हो गई मित्र अश्विनी मैं भटक गया था इस नशीले धूएं में खो कर । यह भूल गया था कुछ देर के लिए कि यह अनमोल जीवन और तुम जैसे नेक मित्र बारम्बार नहीं मिलते । कहते हुए शैलेश ने नशेवाली सिगरेट फेंक दी ।
—नवीन कपूर
कपूर निवास
31@5 शान्तविहार खानपुर चौक
पठानकोट पंजाब-भारत
145001
दूरभाष : 0186 -2230303
0186 2290309
”लावा ” उपन्यास
अभी हाल ही में मेरा नया उपन्यास ” लावा ‘ आया है।
कल्पना पब्कलेशन 157 दूसरी मंजिल,चांदपोल बाजार
उदयपुर राजस्थान से प्रकाशित ा लावा, चाणक्य
के सम्पूर्ण जीवन पर आधारित उपन्यास हैा लावा
में आप पाएंगे चाणक्य के सीने में खलबलाता वह
लावा जो नन्द के समुचे वंश को समाप्त करने के
लिए लालायित होता हैा लावा जो प्रतिशोध जगाता
हैा लावा जो चाणक्य को ज्वालामुखी बनाता हैा
लावा जो चाणक्य को महत्वाकांक्षी बनाता हैा
लावा जो चाणक्य को अपने लक्ष्य तक पहुंचाता हैा
लावा जब तक सीने मं नहीं व्यक्ति अपने लक्ष्य
तक नहीं पहुंच सकता ा लावा जो प्रेम का भी
बलिदान देने की शिक्षा देता हैा लावा जो देश प्रेम
के लिए प्रेरित करता हैा यह वह ”लावा” जो हाथ
में उठाते ही पूरा न पढने तक हाथ से नहीं छूटताा
आप अवश्य पढे ा
आपका अपना
कृष्णशंकर सोनाने
अंतरंग कथा गोष्ठी
सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संस्था श्री मित्र कला संगम ,भोपाल के तत्वावधान में भोपाल दिनांक: 03 दिसम्बर ,2008 के गैस त्रासदी वर्ष पर के उपलक्ष्य में मध्यप्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन भवन,पी एण्ड टी चौराहा,भोपाल में सायं 5 बजे से अंतरंग कथा गोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन में भोपाल गैस त्रासदी में मृतकों को श्रृद्धांजलि दी जाएगी तथ कथाकारों व्दारा कहानी पाठ किया जाएगा । इस अवसर पर सर्वश्री डॉ.मोहन तिवारी “आनन्द,चन्द्रभान राही, अनिता सिंह चौहान,श्याम बिहारी सक्सेना तथा कृष्णशंकर सोनाने कहानी का पाठ करेंगे । आधार वक्तव्य युवा कहानीकार चन्द्रभान राही देंगे । कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ लेखक श्याम बिहारी सक्सेना व्दारा किया जाएगा।
भारत की गौरवशाली नारियां
अनिता सिंह चौहान के व्दारा संकलित ”भारत की गौरवशाली नारियां” का लोकार्पण महामिहम राज्यपाल डा बलराम जाखड़ के कर कमलों से सम्पन्न हुआ।
इस संग्रह में भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अपने शौर्य एवं बलिदान का योगदान देने वाली नारियों के साथ ही उन नारी चरित्रों को भी उजागर किया गया है जिन्होंने सामाजिक उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिकायॅं निभाई है और माता जीजाबाई से लेकर अंतरिक्ष को अपने कदमों से नापनेवाली सुनीता विलयम्स तक की गाथा इसमें समाहित है।
इस अवसर पर साहित्य संस्थान प्रकाशन के जयशंकर दीक्षित,चन्द्रभान राही,डा एच एन सोलंकी एवं अनिता सिंह चौहान उपस्थित थे ।
-. चन्द्रभान राही
136,शिरडी पुरम ,कोलार रोड़,भोपाल
मोबाइल नं.9893318042
.अदबी कहकशां के मुशायरे में साहित्यकारों एवं समाज सेवियों का सम्मान
अदबी कहकशां के मुशायरे में साहित्यकारों एवं समाज सेवियों का सम्मान
भोपाल ः साहित्यिक संस्था अदबी कहकशां के तत्वाधान में दिनांकः 16 अगस्त 2008 को सम्मान और मुशायरे का आयोजन किया गया । स्थानीय शकीला बानो भोपाली कम्युनिटी हाल,फतहगढ़,भोपाल में मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड के नवनियुक्त अध्यक्ष श्री गुफरान आज़म कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे अध्यक्षता उर्दू के प्रख्यात शायर नसीर परवाज ने की । मुख्य अतिथि के रूप में गुफरान आज़म का नगर की साहित्यिक एवं सामाजिक संस्थाओं व्दारा भावभीना अभिनंदन और स्वागत किया गया । इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मैं वक्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष पद पर रहते हुए किसी भी प्रभावशाली और गलत व्यक्ति को फायदा नहीं दूंगा और न ही स्वयं ही फायदा लूंगा बल्कि पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथा वक्फ़ बोर्ड के माध्यम से कौम और मुल्क की सेवा करूंगा । श्री आजम ने कहा कि मैं ईमानदारी से काम करनेवालों का साथी हूं। लोगों को सोचना होगा कि व्यक्ति बड़ा है या अल्लाह बड़ा है,लोग अगर अल्लाह की बड़ाई तस्लीम करते हैं तो वक्फबोर्ड की संपति की सबको मिलकर रक्षा करनी होगी।
इस अवसर पर साहित्यिक संस्थाओं ने गुफराने आजम का अभिनंदन व सम्मान किया उनमें सलीम कुरैशी,सनतउल्लाह सिद्धीकी,मोहम्मद माहिर,डा युनूस फरहत,इकबाद बैदार,डा अली अब्बास उम्मीद,अहद प्रकाश,इलियास इस्माईल,शाहनवाज़ खान और मोहम्मद परवेज सम्मिलत है। इन वक्ताओं ने वक्फ़बोर्ड को बेहतर बनाने के संबंध में अपने विचार प्रकट किये तत्पश्चात शायरों,समाजसेवकों और पत्रकारों का सम्मान किया गया जिसमें मंजर भोपाली,शाहिद मीर,वफा सिद्धीकी,यूनुस फरहत,जावेद गौंडवी,अशफाक उल्लाह खां एवं इकराम सिद्धीकी उल्लेखनीय है।सम्मान समारोह के बाद मुशायरें का आयोजन किया गया जिनमें नगर के शायरों ने अपनी खूबसूरत ग़ज़लों से खूबवाहवाही लूटी । पेश है चन्द अशआरात् –.
ज़रा सा वक्त गुज़र जाए गफलतों में अगर
तो अच्छे अच्छों को हाथ मलना पड़ता है।
-. मंजर भोपाली
वे लोग वफ़ा साथ कभी दे नहीं सकते
गिरना जिन्हें आता है संभलना नहीं आता ।।
–.वफ़ा सिद्धीकी
आज कल बेटी का ससुराल से मैके आना
जैसे एक क़ैदी को पैरोल दिया जाता है।
— विजय तिवारी
परिन्दा आन कर भोपाल से वापिस नहीं जाता
खुले आकाश से यह खूबसूरत जाल अच्छा है।
-.शाहिद मीर
जारी है अब भी अपनी शहादत के सिलिसले
रन में नहीं हुसैन मगर करबला तो है।
-. यूनुl फ़रहत
किससे पूछूं कोई ताबीर बताता ही नहीं
कल मैंने ख्वाब में अपना ही सरापा देखा।
-. अहमद उद्दीन अशरफ़
मुशायरे में सर्वश्री नसीर परवाज़,अली अब्बास उम्मीद,खलील कुरैशी,मसूद रज़ा,जावेद गोंडवी,ताजउद्दीन ताज,सीमा नाज़,काजी मलिक नवेद,बशर सहबाई,बेबाक भोपाली,इकराम अकरम,काजिम रज़ा राही,इकबाल बैदार,हसीब तरन्नुम,कामिल बहज़ादी,रफीक बेकस,पुरनम परनवी,शाकिर जामी,मंजूर अहमद नज़र, जिया फारूकी,महबूब एहमद महबूब,सलीम दानिश,मुजफ्फर तालिब,गोपाल नीरद और अहद प्रकाश ने शिरकत की । मुशायरे का संचालन डा अली अब्बास उम्मीद ने किया ।आभार प्रदर्शन संस्था के सचिव, सलीम कुरैशी ने किया ।
सलीम कुरैशी
सचिव,अदबी कहकशां